i didnt get three chapter answers..i beg ffor your forgiveness for that...i have done all 4 long answers mam
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Pratibha Meena
Jun 02, 2020
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Jun 01, 2020
1) दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि स्वतन्त्रता सहज नहीं मिलती, बल्कि उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है |
answer-दो बैलों की कथा’ के मुख्य पात्र हीरा-मोती ने पूरे पाठ में अपने साहस और एकता का प्रदर्शन किया है | पकड़े जाने पर वे जोर लगाकर भागते हैं और पकड़ में नहीं आते हैं। अपने से भारी-भरकम और खूँखार साँड़ को वे दोनों मिलकर पराजित करने में सफल होते हैं । दोनों मित्र मिलकर कांजीहौस की दीवार गिराकर जानवरों को आज़ाद कराते हैं | नीलाम होने पर वे दढ़ियल से मुकाबला कर अपनी जान बचा लेते हैं और अपने मालिक के पास पहुँच जाते हैं | इससे सिद्ध होता है कि एकता में शक्ति होती है।
2) हाल ही में पढ़ी हुई पुस्तक की पुस्तक समीक्षा लिखिए|
answer-- किताब: मेरी नजर में प्राण
लेखक: आशा प्राण
चाचा चौधरी के जनक प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट प्राण को देश में कौन नहीं जानता, लेकिन कोई प्राण के बेहद करीब रहने वाला उन पर कोई किताब लिखे तो जाहिर है दिलचस्पी बढ़ जाती है। कोई करीबी किताब लिखेगा तो उनके बारे में कई निजी बातें भी पता लगेंगी।
कार्टूनिस्ट प्राण की पत्नी आशा प्राण ने यही दिलचस्पी बढ़ाई है। उन्होंने हाल ही में प्राण पर एक किताब लिखी है। नाम है ‘मेरी नजर में प्राण’ बोर्ड पेंटर से पद्मश्री तक का सफर।
इस किताब में आशा प्राण ने उनके बोर्ड पेंटर से लेकर पद्मश्री तक के सफर का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया है। पाकिस्तान के लाहौर में पैदा होने से लेकर मध्यप्रदेश के ग्वालियर आने तक और फिर दिल्ली में मां के साथ बिताए वक्त तक। बतौर कार्टूनिस्ट अपना करियर शुरू करने से लेकर कॉमिक्स की शुरुआत करने तक के सफर की पूरी तस्वीर आशा प्राण ने बहुत शिद्दत से खींची है। बेहद साफगोई से उन्होंने लिखा कि किस तरह प्राण ने दिल्ली में पोस्टर बनाने का काम किया और फिर कार्टून और कॉमिक्स की दुनिया में प्रवेश किया।
किताब की सबसे अहम बात यह है कि आशाजी ने भी प्राण के संघर्षों को उसी तरह महसूस किया है, जैसे वे खुद उन दिनों में उनके साथ रही हों।
किताब में प्राण को, उनके संघर्ष और उनके शिखर को केंद्र में रखा गया है, और खास बात यह है कि लिखते समय वे कहीं भी इस केंद्र से भटकी नहीं हैं। जब कोई इस किताब को पढ़ना शुरू करता है तो अंत तक एक ही सांस में पढ़ जाता है।
प्राण एक संवेदनशील इंसान थे, इसीलिए वे एक श्रेष्ठ कार्टूनिस्ट भी बन पाए। किताब की शुरुआत में ही जिक्र किया गया है कि किस तरह 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन का असर 10 साल के प्राण के मन पर पड़ा। उन्होंने अपनी मासूम आंखों से भारत का विभाजन देखा और उन दृश्यों को अपने भीतर संजोकर रखा।
एक पत्नी की नजर से लिखी गई इस किताब में कहीं भी महसूस नहीं होता है कि यह उनकी पत्नी ने लिखी है। प्राण के संघर्ष से लेकर उनकी उपलब्धियों, उनके व्यक्तित्व और अंतिम इच्छाओं को जानने के लिए इस किताब को जरुर पढ़ा जाना चाहिए।
3) ग्रीष्मकालीन अवकाश के दैनिक अनुभवों की संक्षिप्त डायरी लिखिए| (लगभग 2पृष्ठ )
answer--बुधवार, 30 अप्रैल, 2020
प्रिय डायरी
इस साल गर्मियों की छुट्टियों में बड़ा आनंद आया। हम अपने दादा दादी के घर जबलपुर गए थे। पहले दिन हम सब भाई बहनों ने घर पर अनेक खेल खेले।
दूसरे दिन शाम को हमलोग बाज़ार घूमने गए।
तीसरे दिन ह्मोलोगों ने वहाँ की प्रसिद्ध चाट, गोल गप्पे, कुल्फी, छोला बटूरा आदि बड़े मज़े से खाए।
चौथे दिन हमलोग चिड़ियाघर देखने गए।
पाँचवे दिन हमलोगों ने मेले में हाथी पर बैठकर सैर करी।
छठे दिन हमारे दादा दादी ने त्योहार के लिए सब परिवार के सदस्यों को उपहार दिए। अन्य घरवालों ने भी कई चीजें भेंट करीं।
सातवें और आठवें दिन हमलोग अपने पड़ोसियों व अन्य जान पहचान वालों के घर मिलने गए।
नवें दिन हमलोगों ने घर के सदस्यों के साथ फोटो खींचीं और साथ में समय व्यतीत करा।
दसवें दिन हमलोग रेल से वापस आये।
इस प्रकार गर्मी की छुट्टियाँ बहुत जल्दी पूर्ण हो गयीं।
राधिका
4) उपसर्ग-प्रत्यय किसे कहते हैं ? उपसर्ग-प्रत्यय के 10-10 उदहारण लिखिए
answer--किसी शब्द के पूर्व जोड़े जाने वाला यह शब्दांश जो मूल शब्द के अर्थ को बदल देता हैं उपसर्ग कहलाता हैं।
अ---अछूता, अथाह, अटल
अन----अनमोल, अनवन, अनपढ़
क-----कपूत, कचोट
कु--------कुचाल, कुचैला, कुचक्र
भर----भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार
सु----सुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल
अध----अधपका, अधकच्चा
उन----उनतीस, उनचालीस,
पर---परलोक, परोपकार, परसर्ग, परहित
बिन---बिनव्याह, बिन बादल
प्रत्यय वह शब्दांश हैं जो शब्द के अंत में जुड़कर उसके व्याकरणिक रूप या अर्थ में परिवर्तन कर देता हैं।
लठैत--एत
सपेरा----एरा
कमाऊ---आऊ
तैराक---आक
भगोड़ा-------ओड़ा
चटोरा---ओरा
ससुराल---आल
पढ़ाई---आई
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Pratibha Meena
Jun 01, 2020
प्रश्न-1 ‘दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर पशुओं की स्वामिभक्ति का वर्णन कीजिए |
प्रश्न-2 ‘दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि स्वतन्त्रता सहज नहीं मिलती, बल्कि उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है |
प्रश्न-3 कबीर के पद पहले से भी कहीं अधिक प्रासंगिक(उपयुक्त) हैं, तर्क सहित स्पष्ट कीजिए |
प्रश्न-4 संकलित साखियों और सबद के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए |
प्रश्न-5. उपसर्ग-प्रत्यय किसे कहते हैं ? उपसर्ग-प्रत्यय के 10-10 उदहारण लिखिए |
प्रश्न-6. हाल ही में पढ़ी हुई पुस्तक की पुस्तक समीक्षा लिखिए|
प्रश्न-7. ग्रीष्मकालीन अवकाश के दैनिक अनुभवों की संक्षिप्त डायरी लिखिए| (लगभग 2पृष्ठ )
Is there somewhere we can chat off site??
slave do it by tomorrow 6 pm
i didnt get three chapter answers..i beg ffor your forgiveness for that...i have done all 4 long answers mam
1) दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि स्वतन्त्रता सहज नहीं मिलती, बल्कि उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है |
answer-दो बैलों की कथा’ के मुख्य पात्र हीरा-मोती ने पूरे पाठ में अपने साहस और एकता का प्रदर्शन किया है | पकड़े जाने पर वे जोर लगाकर भागते हैं और पकड़ में नहीं आते हैं। अपने से भारी-भरकम और खूँखार साँड़ को वे दोनों मिलकर पराजित करने में सफल होते हैं । दोनों मित्र मिलकर कांजीहौस की दीवार गिराकर जानवरों को आज़ाद कराते हैं | नीलाम होने पर वे दढ़ियल से मुकाबला कर अपनी जान बचा लेते हैं और अपने मालिक के पास पहुँच जाते हैं | इससे सिद्ध होता है कि एकता में शक्ति होती है।
2) हाल ही में पढ़ी हुई पुस्तक की पुस्तक समीक्षा लिखिए|
answer-- किताब: मेरी नजर में प्राण
लेखक: आशा प्राण
चाचा चौधरी के जनक प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट प्राण को देश में कौन नहीं जानता, लेकिन कोई प्राण के बेहद करीब रहने वाला उन पर कोई किताब लिखे तो जाहिर है दिलचस्पी बढ़ जाती है। कोई करीबी किताब लिखेगा तो उनके बारे में कई निजी बातें भी पता लगेंगी।
कार्टूनिस्ट प्राण की पत्नी आशा प्राण ने यही दिलचस्पी बढ़ाई है। उन्होंने हाल ही में प्राण पर एक किताब लिखी है। नाम है ‘मेरी नजर में प्राण’ बोर्ड पेंटर से पद्मश्री तक का सफर।
इस किताब में आशा प्राण ने उनके बोर्ड पेंटर से लेकर पद्मश्री तक के सफर का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया है। पाकिस्तान के लाहौर में पैदा होने से लेकर मध्यप्रदेश के ग्वालियर आने तक और फिर दिल्ली में मां के साथ बिताए वक्त तक। बतौर कार्टूनिस्ट अपना करियर शुरू करने से लेकर कॉमिक्स की शुरुआत करने तक के सफर की पूरी तस्वीर आशा प्राण ने बहुत शिद्दत से खींची है। बेहद साफगोई से उन्होंने लिखा कि किस तरह प्राण ने दिल्ली में पोस्टर बनाने का काम किया और फिर कार्टून और कॉमिक्स की दुनिया में प्रवेश किया।
किताब की सबसे अहम बात यह है कि आशाजी ने भी प्राण के संघर्षों को उसी तरह महसूस किया है, जैसे वे खुद उन दिनों में उनके साथ रही हों।
किताब में प्राण को, उनके संघर्ष और उनके शिखर को केंद्र में रखा गया है, और खास बात यह है कि लिखते समय वे कहीं भी इस केंद्र से भटकी नहीं हैं। जब कोई इस किताब को पढ़ना शुरू करता है तो अंत तक एक ही सांस में पढ़ जाता है।
प्राण एक संवेदनशील इंसान थे, इसीलिए वे एक श्रेष्ठ कार्टूनिस्ट भी बन पाए। किताब की शुरुआत में ही जिक्र किया गया है कि किस तरह 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन का असर 10 साल के प्राण के मन पर पड़ा। उन्होंने अपनी मासूम आंखों से भारत का विभाजन देखा और उन दृश्यों को अपने भीतर संजोकर रखा।
एक पत्नी की नजर से लिखी गई इस किताब में कहीं भी महसूस नहीं होता है कि यह उनकी पत्नी ने लिखी है। प्राण के संघर्ष से लेकर उनकी उपलब्धियों, उनके व्यक्तित्व और अंतिम इच्छाओं को जानने के लिए इस किताब को जरुर पढ़ा जाना चाहिए।
3) ग्रीष्मकालीन अवकाश के दैनिक अनुभवों की संक्षिप्त डायरी लिखिए| (लगभग 2पृष्ठ )
answer--बुधवार, 30 अप्रैल, 2020
प्रिय डायरी
इस साल गर्मियों की छुट्टियों में बड़ा आनंद आया। हम अपने दादा दादी के घर जबलपुर गए थे। पहले दिन हम सब भाई बहनों ने घर पर अनेक खेल खेले।
दूसरे दिन शाम को हमलोग बाज़ार घूमने गए।
तीसरे दिन ह्मोलोगों ने वहाँ की प्रसिद्ध चाट, गोल गप्पे, कुल्फी, छोला बटूरा आदि बड़े मज़े से खाए।
चौथे दिन हमलोग चिड़ियाघर देखने गए।
पाँचवे दिन हमलोगों ने मेले में हाथी पर बैठकर सैर करी।
छठे दिन हमारे दादा दादी ने त्योहार के लिए सब परिवार के सदस्यों को उपहार दिए। अन्य घरवालों ने भी कई चीजें भेंट करीं।
सातवें और आठवें दिन हमलोग अपने पड़ोसियों व अन्य जान पहचान वालों के घर मिलने गए।
नवें दिन हमलोगों ने घर के सदस्यों के साथ फोटो खींचीं और साथ में समय व्यतीत करा।
दसवें दिन हमलोग रेल से वापस आये।
इस प्रकार गर्मी की छुट्टियाँ बहुत जल्दी पूर्ण हो गयीं।
राधिका
4) उपसर्ग-प्रत्यय किसे कहते हैं ? उपसर्ग-प्रत्यय के 10-10 उदहारण लिखिए
answer--किसी शब्द के पूर्व जोड़े जाने वाला यह शब्दांश जो मूल शब्द के अर्थ को बदल देता हैं उपसर्ग कहलाता हैं।
अ---अछूता, अथाह, अटल
अन----अनमोल, अनवन, अनपढ़
क-----कपूत, कचोट
कु--------कुचाल, कुचैला, कुचक्र
भर----भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार
सु----सुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल
अध----अधपका, अधकच्चा
उन----उनतीस, उनचालीस,
पर---परलोक, परोपकार, परसर्ग, परहित
बिन---बिनव्याह, बिन बादल
प्रत्यय वह शब्दांश हैं जो शब्द के अंत में जुड़कर उसके व्याकरणिक रूप या अर्थ में परिवर्तन कर देता हैं।
लठैत--एत
सपेरा----एरा
कमाऊ---आऊ
तैराक---आक
भगोड़ा-------ओड़ा
चटोरा---ओरा
ससुराल---आल
पढ़ाई---आई
प्रश्न-1 ‘दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर पशुओं की स्वामिभक्ति का वर्णन कीजिए |
प्रश्न-2 ‘दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि स्वतन्त्रता सहज नहीं मिलती, बल्कि उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है |
प्रश्न-3 कबीर के पद पहले से भी कहीं अधिक प्रासंगिक(उपयुक्त) हैं, तर्क सहित स्पष्ट कीजिए |
प्रश्न-4 संकलित साखियों और सबद के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए |
प्रश्न-5. उपसर्ग-प्रत्यय किसे कहते हैं ? उपसर्ग-प्रत्यय के 10-10 उदहारण लिखिए |
प्रश्न-6. हाल ही में पढ़ी हुई पुस्तक की पुस्तक समीक्षा लिखिए|
प्रश्न-7. ग्रीष्मकालीन अवकाश के दैनिक अनुभवों की संक्षिप्त डायरी लिखिए| (लगभग 2पृष्ठ )
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